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खूबसूरत मोहब्बत पार्ट-2

खूबसूरत मोहब्बत पार्ट-2





नेहा कृष्णा टावर से बाहर आई और अपने घर के तरफ चल देती और उसने चलते चलते ही कैब बुक की....जैसे ही नेहा रोड क्रॉस करने के लिए आगे बढ़ती है तो कोई आकर उसको धक्का देता है जिससे वो रोड के दूसरी साइड गिर जाती है उसे कुछ समझ ही नही आता है।

वो अपने आप को संभाल कर खड़ी होती है और उस इंसान को थैंक्स कहने के लिए उसके तरफ आती है (क्युकी उसे ये एहसास हो जाता है की वो अपने फ़ोन में बिजी थी जिस वजह से सामने से आती कार के तरफ उसका ध्यान नहीं जाता है और उस इंसान ने आकर सही समय पर उसे बचा लिया था।)

जैसे ही वो उस इंसान के करीब आती है तो उसे देख कर हैरान रह जाती है। वो कुछ बोलती उससे पहले वो इंसान वहां से चला जाता है और जब नेहा को होश आता है तो देखती है की वो वहां से जा चुका है।
नेहा अपने आप को कोसती है कि आज फिर वो सामने होते हुए भी उससे बात नही कर पायी.....।
नेहा अपना सर झटक के खड़ी हो जाती है और अपनी कैब आने का इंतज़ार करती है कुछ देर बाद उसकी कैब आ जाती है और वो कैब में बैठकर अपने घर चली जाती है।

जैसे ही घर पहुँचती है तो देखती है कि तन्वी हॉल में बैठी उसी के आने का इंतज़ार कर रही होती है.....वो जाकर उसके पास बैठ जाती है और अपना बैग वहां टेबल पर रख देती है और बोलती है "क्या दी आप भी,,,,, अब ये बच्चो जैसा मुँह मत बनाओ मैं आ गयी हूं ना देखो और वो भी जल्दी ही और आप मेरी फ़िक्र मत किया करो अब मैं बच्ची नहीं हूँ दी।"

तन्वी थोड़ा गुस्सा करते हुए "अच्छा तो अब तू मुझे बतायेगी की तेरी फ़िक्र करनी है या नहीं......फिर थोड़ा नरम होकर "देख नेहा समझने की कोशिश कर अब तेरे सिवाय है ही कौन इस दुनिया में और अब तू भी इतनी बड़ी हो गयी है कि बोल रही है तेरी फ़िक्र ना करूं क्यों ना करूँ तेरी फ़िक्र??"

नेहा थोड़ा उदास होकर - "नही दी ऐसी बात नही है मेरा मतलब है कि अब मैं छोटी बच्ची नहीं हूँ ना तो आप मेरी फ़िक्र थोड़ी कम किया करो।"

तन्वी माहौल को थोड़ा हल्का करने के लिए - "अच्छा बच्चू तो ये बता ये थोड़ी कम फ़िक्र क्या होती है? और उसके पेट में गुदगुदी करने लगती है.... फिर दोनों बहनें हंसते हंसते लोट पोट हो जाती है ....."

अचानक से नेहा बोलती है "दी आपसे एक बात पूछनी थी।"

तन्वी नेहा के गाल पर हाथ रख कर बोलती है "एक क्यों मेरी जान 2-3-4 जितनी पूछनी है उतनी पूछो ।"

नेहा तन्वी के हाथ को अपने हाथों में लेकर बोलती है "दीदी अगर अब आदित्य आपके सामने अचानक से आ जाये तो आप क्या करोगी??"

तन्वी नेहा के हाथों से अपने हाथ को छुड़ाते हुए बोलती है "नही नेहा जो कभी संभव ही नहीं है उसके बारे में सोचने का कोई फायदा नहीं है और मेरे लिए अब तू ही सब कुछ है। मैं तेरे अलावा किसी और के बारे में सोचकर अपना दिमाग़ ख़राब नहीं करना चाहती हूँ.....और तू भी क्या फालतू सवाल लेकर बैठ गयी चल कपडे चेंज करके आजा मैं तब तक खाना लगा देती हूँ।" और उठकर वहाँ से जाने लगती है.....।

नेहा उसका हाथ पकड़ कर अपने पास बैठा लेती है और बोलती है "दीदी बात को घुमाने से सच नहीं बदल जायेगा बोलिये आप क्या फील करती है? आज उसके लिए अपने दिल में जो भी फीलिंग है मुझे बता दीजिए कम से कम मुझसे तो मत छुपाओ दी....आप ही तो मुझे अपना सब कुछ कहती है और एक पल में पराया कर दिया।"

तन्वी नेहा के बगल में बैठ जाती है सोफे पर और बोलती है "मैं ज्यादा कुछ तो नहीं जानती कि क्या फील करती हूं लेकिन बस इतना जरूर जानती हूं उस इंसान को कभी माफ़ नहीं कर पाऊँगी और अगर वो सामने आ भी जाये तो मुझे उससे बेइंतहा नफ़रत हो जायेगी जो मैं कभी करना नहीं चाहती क्यूंकि अगर मैंने उससे नफरत की तो मैं नफरत की हर हद भूल जाउंगी जो मैं चाहती नहीं हूँ।क्यूंकि मैं अपना सारा ध्यान सिर्फ तुमपे लगाना चाहती हूँ मेरे लिए अब सबसे कीमती तुम हो सिर्फ तुम हो....अब सिर्फ तुम ही मेरे जीने की वजह हो और तुम ही मेरा वजूद हो।"

नेहा तन्वी की गोदी में सर रख कर बोलती है "दीदी अगर मैं बोलू की उस इंसान ने आपकी जीने की वजह आपके वजूद की जान बचायी है तो....क्या तब भी आप उससे  इतनी ही नफ़रत करेंगी??"

तन्वी नेहा के बालों में हाथ घुमाते हुए बोलती है "ऐसा कभी नहीं हो सकता है मैं उस इंसान के रग रग से वाकिफ हूँ......चल अब उठकर हाथ मुंह धोकर आ।"

तन्वी वहां से चली जाती है.....।

नेहा सोचती है क्या वाकई में आदित्य वैसा है या फिर वो अपने किसी मकसद से यहाँ आया है जो मुझे अपने अच्छे व्यवहार से इम्प्रेस करना चाहता हो और बाद में अपना काम निकलवाये......उससे तो बचकर रहना होगा नेहा तुझे.....।


उधर एक अनजान जगह .....एक खूबसूरत सा बड़ा सा घर जिसमें एक कमरे में वही आदमी जिसने सड़क पे नेहा की जान बचायी थी........

"बस थोड़ा सा इंतज़ार और A.R. .......फिर वही होगा जो मैं चाहूंगा.....और सामने लगी दीवार पे एक तस्वीर के तरफ देखता है और बोलता है "बस मिट्ठु थोड़ी सी जुदाई और फिर मैं तुम्हे कहीं नहीं जाने दूंगा तुम सिर्फ मेरी हो सिर्फ मेरी.......क्यों ???????क्यों????? मुझे छोड़ कर चली गयी थी मेरी रानी?????बोलो ना आखिर क्यों???" और वो लड़का वही घुटनों के बल बैठ कर रोने लग जाता है।

"बेवफा था मैं लेकिन सिर्फ तेरा था मैं!
धोखेबाज था मैं लेकिन सिर्फ तेरा था मैं!!
क्यूं.....आखिर क्यूं था मैं ऐसा??
जवाब तेरे पास है क्योंकि सिर्फ तेरा था मैं!!"

क्रमश:.......🐬🌞


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7 Comments

Fiza Tanvi

20-Nov-2021 01:11 PM

Good

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Sana khan

28-Aug-2021 06:15 PM

Awesome part

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Fiza Tanvi

27-Aug-2021 12:04 PM

बेहतरीन पार्ट

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